87 BNS in Hindi – बीएनएस की धारा 87 क्या है? (सजा व जमानत के प्रावधान) Earlier 313 IPC

धारा 87 भारतीय न्याय संहिता में एक महत्वपूर्ण धारा है जो महिला की सहमति के बिना गर्भपात करने पर विचार करती है। इस धारा के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति धारा 86 के अनुसार गर्भपात करता है और महिला की सहमति के बिना, चाहे महिला गर्भावस्था की किसी भी अवधि में हो या न हो, तो उसे दोषी माना जाता है। इस लेख में, हम बीएनएस की धारा 87 BNS in Hindi के प्रावधान, जमानत, और सजा के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे।

यहाँ ‘गर्भावस्था में होना’ का मतलब है कि महिला गर्भधारण की स्थिति में है, विशेष रूप से उस समय जब भ्रूण की हलचल महसूस की जा सकती है। धारा 87 का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि गर्भपात की प्रक्रिया में महिला की सहमति का महत्व होता है और उसके बिना किए गए गर्भपात को कड़ी सजा के साथ निर्दोष नहीं माना जाता।

इससे सामाजिक सुरक्षा और महिलाओं के अधिकारों का संरक्षण होता है। धारा 87 महिलाओं की स्वतंत्रता और स्वास्थ्य की रक्षा में महत्वपूर्ण योगदान करती है, उन्हें अनाधिकृत गर्भपात से बचाने के लिए कड़ी सजा भी देती है।

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87 BNS in Hindi

धारा 87 BNS क्या है? – 87 BNS in Hindi 

धारा 87 भारतीय न्याय संहिता का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो महिला की सहमति के बिना गर्भपात करने पर विचार करता है। इस धारा के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति धारा 86 के तहत गर्भपात करता है और महिला की सहमति के बिना, चाहे महिला गर्भावस्था की किसी भी अवधि में हो या न हो, तो उसे दोषी माना जाता है।

धारा 87 ने सामाजिक एवं कानूनी दृष्टिकोण से महिलाओं के अधिकारों की रक्षा को प्राथमिकता दी है। इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि गर्भपात की प्रक्रिया में महिला की सहमति का महत्व होता है, जिससे उनका अधिकार सुरक्षित रहे। धारा 87 के अंतर्गत अनाधिकृत गर्भपात करने वाले पर कड़ी कार्रवाई होती है, जिससे ऐसी प्रथाओं को रोकने में मदद मिलती है।

87 BNS का अपराध साबित करने के लिए कुछ मुख्य बिंदु: Section 87 BNS Essentials

इस धारा का अपराध साबित करने के लिए कुछ मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:

  • महिला की सहमति: धारा 87 के अनुसार, गर्भपात करने से पहले महिला की सहमति आवश्यक है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि गर्भपात की प्रक्रिया में महिला की इच्छा का सम्मान किया जाता है।
  • गर्भावस्था की स्थिति: धारा 87 के तहत, महिला के गर्भावस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुए गर्भपात का निर्माण होता है। यह सुनिश्चित करता है कि गर्भपात के विधि में महिला की स्वास्थ्य और सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाता है।
  • गर्भपात का उद्देश्य: धारा 87 का प्रमुख उद्देश्य गर्भपात को महिला की जीवन और स्वास्थ्य को बचाने के लिए करना है। यहाँ गर्भपात को केवल महिला की जीवन की संरक्षा के लिए ही किया जाता है।

धारा 87 की सरल व्याख्या

  • धारा 87 भारतीय न्याय संहिता में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने के लिए निर्मित है।
  • यदि कोई व्यक्ति धारा 86 के अनुसार गर्भपात करता है और महिला की सहमति के बिना, तो वह दोषी माना जाता है।
  • महिला की सहमति का मतलब है कि वह गर्भपात करवाने की मान्यता देती है।
  • गर्भपात की प्रक्रिया में महिला की सहमति का महत्व होता है ताकि उसका अधिकार सुरक्षित रहे।
  • धारा 87 के तहत, महिला की गर्भावस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुए गर्भपात का निर्माण होता है।
  • गर्भावस्था की अवधि के साथ-साथ, गर्भधारण की स्थिति को भी ध्यान में रखा जाता है।
  • धारा 87 (BNS 87 in Hindi) का मुख्य उद्देश्य गर्भपात को महिला की जीवन और स्वास्थ्य को बचाने के लिए करना है।
  • इससे समाज में महिलाओं के अधिकारों का प्रतिबद्धता होता है और उनका सम्मान किया जाता है।

धारा 87 में सजा का प्रावधान! – Punishment under Section 87 BNS in Hindi 

धारा 87 भारतीय न्याय संहिता में गर्भपात करने पर लागू होने वाली सजा का प्रावधान करती है। इस धारा के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति धारा 86 के अनुसार गर्भपात करता है और महिला की सहमति के बिना, तो उसे कठोरतम सजा का सामना करना पड़ सकता है।

धारा 87 में सजा का प्रावधान निम्नलिखित है:

  • जीवन की कैद या कठोरतम सजा: यदि व्यक्ति धारा 87 के तहत गर्भपात करता है तो उसे जीवन की कैद या कठोरतम सजा हो सकती है। इसमें जीवन की कैद हो सकती है या फिर किसी निर्दिष्ट समय के लिए कठोरतम जुर्माना भुगतना पड़ सकता है।
  • जुर्माना: अपराधी को जीवन की कैद के साथ या दस वर्ष तक की कैद के साथ या तो जुर्माना हो सकता है, और उसे धनराशि भी देनी हो सकती है।
  • विचाराधीनता: धारा 87 के तहत गर्भपात करने वाले व्यक्ति की सजा की विचाराधीनता भी होती है। न्यायिक प्राधिकरण गर्भपात की प्रक्रिया में महिला की सहमति का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के अपराध की गंभीरता और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सजा निर्धारित करता है।

धारा 87 (87 BNS in Hindi) महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा करते हुए गर्भपात के अपराधियों को कड़ी सजा देने का प्रावधान करती है। इसके साथ ही, धारा 87 के अनुसार, यह सजा जीवन की कैद या कठोरतम सजा के साथ साथ दस वर्षों तक की हो सकती है।

धारा 87 BNS के अंतर्गत जमानत का प्रावधान : Bail Under Section 87 BNS in Hindi

धारा 87 भारतीय न्याय संहिता में गर्भपात के अपराध के लिए जमानत का प्रावधान करती है। इस धारा के अनुसार, गर्भपात के अपराध में आरोपी व्यक्ति को कठोरतम सजा के अंतर्गत गिरफ्तार किया जा सकता है। हालांकि, धारा 87 में यह भी प्रावधान है कि जमानत भी प्रदान की जा सकती है।

धारा 87 के अनुसार, जमानत के प्रावधान का मकसद यह है कि यदि आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है, तो उसकी स्वतंत्रता को सुनिश्चित किया जा सके। गर्भपात के अपराध में गिरफ्तार किए जाने पर, आरोपी व्यक्ति को जमानत पर रिहा किया जा सकता है, जिससे वह अपने वकील के साथ अपनी समर्थन में योग्यता को साबित कर सके।

धारा 87 के अंतर्गत, जमानत के प्रावधान की राशि का निर्धारण न्यायिक प्राधिकरण करता है। जमानत की राशि का निर्धारण विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि अपराध की गंभीरता, आरोपी की पूर्व अपराधिक इतिहास, और जमानत की राशि को देने के बाद आरोपी के सामर्थ्य को सुनिश्चित करने की आवश्यकता। जमानत की राशि को प्राधिकरण के निर्देशानुसार निर्धारित किया जाता है ताकि न्यायिक प्रक्रिया को सुगमता से चलाया जा सके।

धारा 87 भारतीय न्याय संहिता में गर्भपात के अपराध के लिए गंभीर सजा का प्रावधान करती है। इस धारा के अंतर्गत, जिस व्यक्ति को इस अपराध के लिए आरोपित किया जाता है, उसे उसकी अधिकारी रक्षा के लिए किसी अच्छे वकील की आवश्यकता हो सकती है।

  • पहला कारण यह है कि धारा 87 के तहत गर्भपात के अपराध का मामला गंभीर होता है और इसमें लंबी और जटिल कानूनी प्रक्रिया शामिल होती है। एक अनुभवी वकील आरोपी को सही तरीके से प्रतिरक्षा करने में मदद कर सकता है।
  • दूसरा कारण यह है कि धारा 87 (87 BNS in Hindi) के तहत गर्भपात के अपराध में आरोपी को सजा की राशि और समय की संभावना को समझने की आवश्यकता होती है। एक वकील विवेकपूर्ण सलाह और उपयुक्त रणनीति के साथ अपराधी के हित में काम कर सकता है।
  • तीसरा कारण है कि वकील अदालत में गर्भपात के अपराध की मामले में आरोपी के हक की प्रतिरक्षा करने में मदद कर सकता है, साथ ही उनकी प्रतिरक्षा में सहायता करके उन्हें न्यायपालन में न्याय दिलाने में सहायक होता है।

अतः, धारा 87 के तहत गर्भपात के अपराध के मामले में वकील की सलाहकारी और मामूली मामले में उनकी सहायता बहुत महत्वपूर्ण हो सकती है। अनुभवी वकीलों से मदद लेने के लिए यहां क्लिक करें

निष्कर्ष (Conclusion) 

धारा 87 भारतीय न्याय संहिता में गर्भपात के अपराध पर विचार करती है, जो महिला के अधिकारों और सुरक्षा को महत्वपूर्ण मानती है। इस धारा के अंतर्गत, गर्भपात करने वाले व्यक्ति को कठोर सजा का सामना करना पड़ सकता है, और इससे पहले महिला की सहमति को प्राप्त करना आवश्यक होता है।

धारा 87 ने महिलाओं के साथ गलत व्यवहार करने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई का प्रावधान किया है। इसका मकसद महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा करना है, साथ ही गर्भपात के अपराधियों को सख्त सजा देना है।

धारा 87 के अनुसार, गर्भपात के अपराध में दोषी पाए जाने पर जमानत की संभावना होती है, जो न्यायिक प्रक्रिया में गिरफ्तार व्यक्ति को आराम प्रदान करती है। इससे प्रक्रिया को सुगम बनाने में मदद मिलती है और व्यक्ति अपने अधिकारों की रक्षा के लिए वकील की सहायता ले सकता है।

धारा 87 (87 BNS in Hindi) ने एक संवैधानिक तंत्र स्थापित किया है जो महिलाओं के साथ गलत व्यवहार को नियंत्रित करने में मदद करता है और उन्हें सुरक्षित रखता है। इससे समाज में महिलाओं का सम्मान बढ़ता है और उनके अधिकारों का पालन किया जाता है।

87 BNS was 313 IPC Earlier

भारतीय दंड संहिता की धारा 313 अब भारतीय न्याय संहिता की धारा 87 है।

IPC की धारा 313 अब BNS की धारा 87 है।

Section 313 of IPC is now Section 87 of BNS.

Section 313 of the Indian Penal code is now Section 87 of Bhartiya Nyaya Sanhita. भारतीय दंड संहिता की धारा 313 अब भारतीय न्याय संहिता की धारा 87 है।


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