123 BNS in Hindi – बीएनएस की धारा 123 क्या है? (सजा व जमानत के प्रावधान) Earlier 338 IPC

भारतीय न्याय संहिता की धारा 123 व्यक्तियों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कार्यों पर प्रावधान करती है। यह धारा उन कार्यों को शामिल करती है जो अत्यंत लापरवाही या अविवेकपूर्णता से किए गए होते हैं और दूसरों की जिंदगी या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालते हैं।इस लेख में, हम बीएनएस की धारा 123 BNS in Hindi के प्रावधान, जमानत, और सजा के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे।

इस धारा के अनुसार, ऐसे कार्यों के प्रति दंडित किया जाता है जो दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालते हैं। धारा 123 के अनुसार दंडित किया जाने वाला प्रत्यारोपी तीन महीने की कारावासी या दो हजार पांच सौ रुपये तक की जुर्माना, या उन दोनों का संयुक्त प्रदान के साथ दंडित किया जा सकता है।

इसके अतिरिक्त, यदि किसी को चोट पहुंचाई जाती है, तो उस प्रति दंड का अवधि छह महीने तक की कारावासी, पांच हजार रुपये तक की जुर्माना, या उन दोनों का संयुक्त प्रदान हो सकता है। और अगर गंभीर चोट पहुंचाई जाती है, तो उस प्रति दंड का अवधि तीन वर्ष तक की कारावासी, दस हजार रुपये तक की जुर्माना, या उन दोनों का संयुक्त प्रदान हो सकता है।

इस धारा के तहत अनुशासनपूर्णता का अवलोकन करते हुए, हम इस धारा के विभिन्न अंशों पर ध्यान देने वाले लेखों को लिखेंगे। IPC की धारा 338 अब BNS की धारा 123  है।

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123 BNS in Hindi

धारा 123 बीएनएस क्या है? – 123 BNS in Hindi 

धारा 123 भारतीय न्याय संहिता में एक महत्वपूर्ण धारा है जो व्यक्तियों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कार्यों पर प्रावधान करती है। इस धारा के अंतर्गत, व्यक्ति जो किसी काम को इतनी लापरवाही या अविवेकपूर्णता से करता है जिससे दूसरों के जीवन या सुरक्षा को खतरा पड़ता है, उसे दंडित किया जाता है।

धारा 123 के अनुसार, इस धारा के उल्लंघन पर दंड दो हजार पांच सौ रुपये तक की जुर्माना, तीन महीने की कारावासी, या उन दोनों का संयुक्त प्रदान हो सकता है।

अगर उल्लंघन के कारण किसी को चोट पहुंची है, तो दंड बढ़ सकता है। इस स्थिति में, अपराधी को छह महीने तक की कारावासी, पांच हजार रुपये तक की जुर्माना, या उन दोनों का संयुक्त प्रदान हो सकता है। और अगर गंभीर चोट पहुंचाई जाती है, तो तीन साल की कारावासी, दस हजार रुपये तक की जुर्माना, या उन दोनों का संयुक्त प्रदान हो सकता है।

धारा 123 भारतीय न्याय संहिता में व्यक्तियों के साथ अनुशासनपूर्णता की सख्ती को बनाए रखने का उपाय है।

123 BNS का अपराध साबित करने के लिए कुछ मुख्य बिंदु: Section 123 BNS Essentials

धारा 123 के अपराध को साबित करने के लिए कुछ मुख्य बिंदु हैं।

  • पहला बिंदु है कि क्या किसी व्यक्ति ने किसी काम को इतनी लापरवाही या अविवेकपूर्णता से किया है कि दूसरों के जीवन या सुरक्षा पर खतरा पड़ा। यह अपराध अक्सर गाड़ी चलाने, निर्माण कार्यों में, या किसी अन्य स्थिति में देखा जाता है जहाँ सावधानी नहीं बरती गई।
  • दूसरा मुख्य बिंदु है कि क्या इस कार्य से किसी को चोट पहुंची है। अगर किसी व्यक्ति को इस कार्य से चोट पहुंचती है, तो धारा 123 के तहत उस अपराध की गंभीरता बढ़ जाती है।
  • तीसरा मुख्य बिंदु है कि किस तरह की चोट पहुंचाई गई है। अगर चोट मामूली है, तो दंड भी मामूली होता है, जबकि अगर गंभीर चोट पहुंची है, तो दंड भी गंभीर होता है।

इन मुख्य बिंदुओं के आधार पर, धारा 123 (123 BNS in Hindi) के अपराध को साबित किया जा सकता है और अपराधी को उसका मुजरिम पाया जा सकता है। यहाँ पर उल्लिखित बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए न्यायिक निर्णय लिया जाता है।

धारा 123 की सरलव्याख्या

  • धारा 123 भारतीय न्याय संहिता में शामिल है, जो व्यक्तियों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कार्यों पर प्रावधान करती है।
  • इस धारा के अनुसार, जो व्यक्ति किसी काम को इतनी लापरवाही या अविवेकपूर्णता से करता है जिससे दूसरों के जीवन या सुरक्षा पर खतरा पड़ता है, उसे दंडित किया जाता है।
  • धारा 123 के अनुसार, इस अपराध के लिए दंड से किसी को तीन महीने तक की कारावासी, दो हजार पांच सौ रुपये तक की जुर्माना, या उन दोनों का संयुक्त प्रदान हो सकता है।
  • अगर किसी को चोट पहुंचाई जाती है, तो दंड बढ़ सकता है। इस स्थिति में, अपराधी को छह महीने तक की कारावासी, पांच हजार रुपये तक की जुर्माना, या उन दोनों का संयुक्त प्रदान हो सकता है।
  • और अगर गंभीर चोट पहुंचाई जाती है, तो उस प्रति तीन साल की कारावासी, दस हजार रुपये तक की जुर्माना, या उन दोनों का संयुक्त प्रदान हो सकता है।
  • धारा 123 के तहत अनुशासनपूर्णता का अवलोकन करते हुए, इसके उल्लंघन पर न्यायिक निर्णय लिया जाता है ताकि समाज में सुरक्षा और न्याय का संरक्षण हो सके।

धारा 123 में सजा का प्रावधान! – Punishment under Section 123 BNS in Hindi

धारा 123 में सजा का प्रावधान विस्तृत रूप से किया गया है। इस धारा के अनुसार, जो व्यक्ति अपराध करता है जिससे दूसरों के जीवन या सुरक्षा पर खतरा पड़ता है, उसे दंडित किया जाता है। इसके अनुसार, दंड की प्राथमिक रूप से इन्तकाल तीन महीने तक की कारावासी, दो हजार पांच सौ रुपये तक की जुर्माना, या उन दोनों का संयुक्त प्रदान हो सकता है।

अगर किसी को चोट पहुंचाई जाती है, तो दंड बढ़ सकता है। इस स्थिति में, अपराधी को छह महीने तक की कारावासी, पांच हजार रुपये तक की जुर्माना, या उन दोनों का संयुक्त प्रदान हो सकता है।

और अगर गंभीर चोट पहुंचाई जाती है, तो उस प्रति तीन साल की कारावासी, दस हजार रुपये तक की जुर्माना, या उन दोनों का संयुक्त प्रदान हो सकता है।

धारा 123 (123 BNS in Hindi) के अंतर्गत, अपराधियों को उनकी क्रियाओं के द्वारा जिम्मेदार रखने का संदेश दिया जाता है ताकि समाज में सुरक्षा और अनुशासन का माहौल बना रहे।

धारा 123 BNS के अंतर्गत जमानत का प्रावधान : Bail Under Section 123 BNS in Hindi

धारा 123 भारतीय न्याय संहिता के अंतर्गत जमानत का भी प्रावधान है। धारा 123 के अनुसार, अपराध के लिए दंडित व्यक्ति को किसी अन्य व्यक्ति की जमानत पर छूट दी जा सकती है, जो न्यायिक द्वारा निर्धारित शर्तों को पूरा करता है।

यह शर्तें समाज में सुरक्षा और विश्वास का संरक्षण करने के लिए रखी जाती हैं। जमानत की शर्तें विविध हो सकती हैं, जैसे कि जमानत पर छूट देने के लिए निर्धारित धनराशि, स्वीकृतिपत्र या विशेष गारंटी।

धारा 123 (123 BNS in Hindi) के अनुसार, अगर अपराधी किसी अन्य व्यक्ति की जमानत पर छूट जाता है, तो उसे विशेष शर्तों का पालन करना होता है। इसका मकसद यह है कि वह अपराध को दोहराए ना और न्यायिक प्रक्रिया का सहयोग करें।

जमानत की शर्तों का पालन न करने पर, जमानत रद्द की जा सकती है और अपराधी को पुनः गिरफ्तार किया जा सकता है। इस तरह, धारा 123 (BNS 123 in Hindi) जमानत के प्रावधान के माध्यम से न्यायिक प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाती है।

क्या हमें धारा 123 बीएनएस के लिए वकील की आवश्यकता है? यह एक महत्वपूर्ण सवाल है जिस पर विचार करना जरूरी है। धारा 123 व्यक्तियों के जीवन या सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कार्यों को नियंत्रित करने के लिए प्रावधान करता है। इसके तहत, अपराध की गंभीरता के आधार पर विभिन्न सजा की व्यवस्था है।

धारा 123 के मामले में, अगर आप प्रत्यर्पण के खिलाफ आरोपी हैं, तो एक अच्छा वकील आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण हो सकता है। एक अनुभवी वकील आपको केस की समझ, कानूनी प्रक्रिया, और आपकी सुरक्षा की भावना में मदद कर सकता है।

धारा 123 के मामले में साक्ष्य, तथ्य, और कानूनी तंत्र बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। एक अनुभवी वकील यह सभी प्रक्रिया को समझने में मदद कर सकता है और आपकी प्रतिरक्षा को अधिक मजबूत बना सकता है।

हालांकि, यह भी सत्य है कि कुछ मामलों में वकील की आवश्यकता नहीं होती है, खासकर जब आरोप कम गंभीर होते हैं। लेकिन अगर मामला गंभीर है या आपको कोर्ट में प्रत्यर्पण करना है, तो वकील की सलाह लेना बेहद उत्तम रणनीति हो सकती है। अनुभवी वकीलों से मदद लेने के लिए यहां क्लिक करें

निष्कर्ष (Conclusion) 

धारा 123 भारतीय न्याय संहिता में एक महत्वपूर्ण धारा है जो व्यक्तियों के जीवन और सुरक्षा को संरक्षित करने के लिए बनाई गई है। इस धारा के अंतर्गत, ऐसे कार्यों पर कड़ी कार्रवाई की जाती है जो दूसरों के जीवन या सुरक्षा को खतरे में डालते हैं। हमारे समाज में सुरक्षित माहौल के लिए इस प्रकार के कठिन कानूनी कदमों की आवश्यकता है।

धारा 123 (123 BNS in Hindi) के मामले में, एक अच्छा वकील का महत्व अत्यधिक है। वकील की मदद से आपको केस की समझ, कानूनी प्रक्रिया, और आपकी सुरक्षा की भावना में मदद मिल सकती है। वह आपकी प्रतिरक्षा को मजबूत कर सकता है और न्यायिक प्रक्रिया में सहायक हो सकता है।

लेकिन, यह भी सत्य है कि हर मामले में वकील की आवश्यकता नहीं होती है। समय-समय पर, आप स्वयं अपने हक की रक्षा कर सकते हैं और कोर्ट में प्रत्यर्पण कर सकते हैं।

समाज के लिए सुरक्षित और न्यायपूर्ण माहौल बनाए रखने के लिए हमें अपने कानूनी अधिकारों का सही तरीके से उपयोग करना चाहिए, जिसमें वकील की सलाह और मदद का महत्वपूर्ण स्थान होता है।

123 BNS was 338 IPC Earlier

भारतीय दंड संहिता की धारा 338 अब भारतीय न्याय संहिता की धारा 123 है।

आईपीसी की धारा 338 अब बीएनएस की धारा 123 है।

Section 338 of IPC is now Section 123 of BNS.

Section 338 of the Indian Penal code is now Section 123 of Bhartiya Nyaya Sanhita. भारतीय दंड संहिता की धारा 338 अब भारतीय न्याय संहिता की धारा 123 है (BNS 123 in Hindi) ।


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