336 BNS in Hindi – Fraud (सज़ा और जमानत का प्रावधान) 336 बीएनएस – (Earlier 467 IPC)

धारा 336 भारतीय न्याय संहिता (BNS) में एक महत्वपूर्ण धारा है जो जालसाजी या धोखाधड़ी के मामलों को परिभाषित करता है। इस धारा के तहत, व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर या नकली दस्तावेजों का उपयोग करके धोखाधड़ी करने के मामले में दोषी ठहराया जा सकता है। इस धारा का उल्लेख भारतीय कानूनी प्रणाली में अपराध की श्रेणी में किया गया है और इसकी धारा का पालन करने पर दंड और जुर्माना निर्धारित किया गया है। इस आर्टिकल में हम 336 BNS in Hindi के बारे में जानेंगे। आईपीसी की धारा 467 अब बीएनएस की धारा 336 है। 

धारा 336 BNS में जालसाजी की परिभाषा दी गई है, जो अन्य व्यक्ति के नाम पर या नकली दस्तावेजों का उपयोग करके किया जाता है। यह धोखाधड़ी के प्रकार में आता है जो विभिन्न प्रकार की आर्थिक और सामाजिक प्रणालियों को प्रभावित कर सकता है। इस धारा के तहत, जालसाजी के मामलों में दोषी ठहराया जाता है जो अन्य व्यक्तियों को धोखे से अवगत कराने या धन को बेइमानी से हासिल करने का प्रयास करते हैं।

336 BNS in Hindi | 467 IPC is now 336 BNS

भारतीय कानूनी प्रणाली में जालसाजी को गंभीरता से लिया जाता है और इसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है। धारा 336 BNS (BNS 336 in Hindi) के अनुसार, जालसाजी का दोषी ठहराया जाता है जो नकली दस्तावेजों का उपयोग करके या अन्य धोखाधड़ी के माध्यम से धन को बेइमानी से हासिल करने का प्रयास करता है। इस धारा के तहत, दंड और जुर्माना का प्रावधान किया गया है जो कठिनता से बर्दाश्त करने योग्य होता है।

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धारा 336 BNS के तहत अपराध करने वाले व्यक्ति को दंडाधिकारी न्यायिक प्रक्रिया के अनुसार सजा होती है। इसमें जेल की सजा, जुर्माना या दोनों का प्रावधान हो सकता है। धारा 336 BNS एक प्रभावी कानून है जो जालसाजी और धोखाधड़ी के खिलाफ मुकाबले में सामाजिक सुरक्षा और न्याय को सुनिश्चित करने में मदद करता है।

अपराध की व्याख्या (Offence of 336 BNS in Hindi)

  1. मूल्यवान प्रतिभूति वसीयत या किसी मूल्यवान प्रतिभूति को बनाने या हस्तांतरण करने का प्राधिकार, या कोई धन प्राप्त करने आदि के लिए कूटरचना।
    • सजा – आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक का कारावास + जुर्माना (Fine) ।
    • यह एक गैर-जमानती (Non-Bailable), गैर-संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट (JMFC) द्वारा विचारणीय है।
    • यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।(Non-compoundable)
  2. अगर मूल्यवान प्रतिभूति केंद्र सरकार का एक वचन-पत्र है।
    • सजा – आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक का कारावास + जुर्माना।
    • यह एक गैर-जमानती(Non-Bailable), गैर-संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट (JMFC) द्वारा विचारणीय है।
    • यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।(Non-compoundable)

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 336 क्या है? 

धारा 336 भारतीय न्याय संहिता में एक अहम विभाग है जो धोखाधड़ी और विश्वासघात के मामलों को शामिल करता है। इस धारा के तहत, यदि कोई व्यक्ति किसी मूल्यवान प्रतिभूति के संपत्ति का धोखाधड़ी या विश्वासघात करता है, तो उसे कड़ी सजा का सामना करना पड़ सकता है। धारा 336 (336 BNS in Hindi) के अनुसार, ऐसे अपराधियों को आमतौर पर आजीवन कारावास या दस वर्ष की कारावास के साथ आर्थिक दंड की सजा सुनाई जा सकती है। इसके अलावा, यह अपराध गंभीर होता है और समझौता के लायक नहीं माना जाता है। धारा 336 के अनुसार किए गए अपराधों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाती है ताकि समाज में विश्वास और न्याय की स्थिति को सुनिश्चित किया जा सके।

धारा 336 में सजा (BNS 336 in Hindi)

भारतीय न्याय संहिता की धारा 336 में सजा के निर्धारण का महत्वपूर्ण प्रावधान है। इस धारा के अनुसार, जालसाजी या धोखाधड़ी के मामले में दोषी पाए जाने पर कड़ी सजा होती है। अपराधी को जीवन कारावास, या दस वर्ष तक की कैद, या जुर्माने की सजा, या दोनों की सजा हो सकती है।

धारा 336 का उद्देश्य व्यक्तिगत और सामाजिक संपत्ति को सुरक्षित रखना है। यह अपराध न केवल व्यक्तिगत उत्पीड़न है, बल्कि सामाजिक विश्वास को भी धूमिल करता है। इससे बचने के लिए, सख्त कानूनी कदम उठाए गए हैं।

धारा 336 में निर्धारित सजा वास्तविक अपराध के प्रकार और गंभीरता को ध्यान में रखते हुए किया गया है। इससे सामाजिक न्याय और सुरक्षा को बढ़ावा मिलता है और अपराधियों को इस तरह के अपराध से डराया जाता है।

धारा 336 में जमानत का प्रावधान (Bail in Section 336 BNS in Hindi)

भारतीय न्याय संहिता की धारा 336 में जमानत का प्रावधान नहीं है। धारा 336 (BNS 336 in Hindi) उन अपराधों को शामिल करती है जहां व्यक्ति धोखे से किसी और के नाम पर कार्य करता है या फिर नकली दस्तावेज़ों का उपयोग करता है। ऐसे मामलों में, अपराधी को गिरफ्तार कर जांच के दौरान न्यायिक प्रक्रिया का पालन किया जाता है।

Bailable: No (Can Get Bail Through Court – कोर्ट से जमानत मिल सकती है)

धारा 336 के तहत, अपराधी को जीवन कारावास या दस वर्ष तक की कैद की सजा या जुर्माने का अधिकतम आज्ञाकारी दिया जा सकता है। इससे स्पष्ट होता है कि इस धारा के तहत जमानत का कोई प्रावधान नहीं है, जिससे अपराधी न्यायिक प्रक्रिया से बचने का प्रयास न करें। इससे समाज में विश्वास और न्याय की सुरक्षा होती है।

क्या हमें धारा 336 बीएनएस के लिए वकील की आवश्यकता है?

यदि कोई इस धारा के तहत अपराध का आरोपी है, तो उसे कानूनी सलाह लेने की आवश्यकता हो सकती है।

धारा 336 के अंतर्गत मामलों में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है, और इसलिए व्यक्ति को वकील की मदद से अपने अधिकारों की सुरक्षा करने के लिए सलाह लेने की जरूरत हो सकती है। एक अनुभवी वकील उस व्यक्ति को कानूनी प्रक्रिया में मार्गदर्शन करेगा और उसके हित में उचित कदम उठाएगा।

सारांश में, धारा 336 BNS in Hindi के मामलों में वकील की सलाह लेना सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए ताकि व्यक्ति न्यायिक प्रक्रिया में अपने हक की रक्षा कर सके।

धारा 336 BNS की अपराध श्रेणी

इस अपराध की श्रेणी में उन सभी कार्रवाईयाँ शामिल होती हैं जो जालसाजी और धोखाधड़ी के संदर्भ में की जाती हैं। इस प्रकार के मामलों में, पुलिस को अदालत की मंजूरी के बिना भी जाँच शुरू करने और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार करने की अनुमति होती है। यह एक प्राथमिक और जल्दबाज़ कदम होता है जिसका उद्देश्य अपराध की जाँच और उसके विचाराधीनता को सुनिश्चित करना होता है। ऐसे मामलों में, समझौता की संभावना बहुत कम होती है क्योंकि यह अपराध की गंभीरता और समाज की सुरक्षा के मामले में होता है। पुलिस अपनी जाँच के आधार पर अपराधी को गिरफ्तार करती है और इस प्रकार के मामलों में समझौते की प्रक्रिया अनुभव करने की संभावना बहुत कम होती है।

(बीएनएस) BNS की धारा 336 किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है?

धारा 336 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है। यह एक महत्वपूर्ण विधि है जो अपराधियों को न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से उचित सजा देने की दिशा में काम करती है। प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट विशेष योग्यता और अनुभव के साथ सम्पन्न होते हैं, और उन्हें अपराधियों के मामलों को गंभीरता से समझने और न्यायिक प्रक्रिया को अनुरूप रूप से संचालित करने की जिम्मेदारी होती है। उनके पास आवश्यक संसाधन और अधिकार होते हैं जो इस प्रकार के मामलों का समीक्षण करने के लिए आवश्यक होते हैं। इस प्रकार, धारा 336 BNS in Hindi के तहत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाता है ताकि न्यायिक प्रक्रिया को व्यावसायिक और निष्पक्ष ढंग से संचालित किया जा सके।

आईपीसी 467 बीएनएस में कहा है? IPC 467 BNS में कहा है? Where is IPC 467 in BNS?

आईपीसी की धारा 467 अब बीएनएस की धारा 336 है। 

IPC की धारा 467 अब BNS की धारा 336 है। 

Section 467 of IPC is now Section 336 of BNS. 

Section 467 of the Indian Penal code is now Section 336 of Bhartiya Nyaya Sanhita. भारतीय दंड संहिता की धारा 467 अब भारतीय न्याय संहिता की धारा 336 है। 


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