धारा 135 भारतीय न्याय संहिता का एक महत्वपूर्ण प्राविधान है जो अपहरण के अपराध को परिभाषित करता है। यह धारा दो प्रकार के अपहरण को परिभाषित करती है: भारत से अपहरण और वैध संरक्षण से अपहरण। इस लेख में, हम बीएनएस की धारा 87 BNS in Hindi के प्रावधान, जमानत, और सजा के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे।
इसमें व्याख्या की गई है कि किसी नाबालिग बच्चे को या किसी मानसिक बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को उसके वैध संरक्षक की सहमति के बिना संरक्षण से बाहर ले जाना या आकर्षित करना “वैध संरक्षण से अपहरण” के अंतर्गत आता है।
धारा 135 के तहत, अपराधियों के प्रति कठोर कानूनी कार्रवाई की संभावना होती है, जो इस अपराध को रोकने में सहायक होती है। यह धारा समाज में विशेष ध्यान और जागरूकता पैदा करती है कि हर व्यक्ति की सुरक्षा और समृद्धि का ध्यान रखा जाना चाहिए। अपहरण एक गंभीर अपराध है जो व्यक्ति के मानवाधिकारों को उल्लंघन करता है, और इसका संघर्ष समाज के लिए महत्वपूर्ण है।
धारा 135 के अंतर्गत किये गए कठोर दंड और सजा अपराधियों को दूसरे अपराधियों के लिए डरावने होते हैं और समाज में नैतिकता और कानून के प्रति आत्म-निर्भरता को बढ़ावा देते हैं। IPC की धारा 363 अब BNS की धारा 135 है।
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धारा 135 बीएनएस क्या है? – 135 BNS in Hindi
धारा 135 की बात करें तो यह भारतीय न्याय संहिता में एक महत्वपूर्ण धारा है जो अपहरण के आपराध को परिभाषित करती है। यह धारा दो प्रकार के अपहरण को परिभाषित करती है: भारत से अपहरण और वैध संरक्षण से अपहरण।
पहले, “भारत से अपहरण” का तात्पर्य है जब कोई व्यक्ति किसी को उसकी सहमति के बिना या उस व्यक्ति की बिना सहमति के जो किसी को कानूनी रूप से सहमति देने का अधिकार रखता है, भारत की सीमाओं से परे ले जाता है।
दूसरा, “वैध संरक्षण से अपहरण” के तहत दो स्थितियों में अपहरण होता है:
- (a) किसी नाबालिग बच्चे को या किसी मानसिक बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को उसके वैध संरक्षक की सहमति के बिना संरक्षण से बाहर ले जाना या आकर्षित करना।
“वैध संरक्षक” का शब्द उस व्यक्ति को समाहित करता है जिसे किसी नियमानुसार बच्चे या मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति की देखभाल या देखरेख का न्यायाधीश या आदेश दिया गया हो।
इसमें एक अपवाद भी है, जो कहता है कि यह प्रावधान उन लोगों पर लागू नहीं होता जो अश्लील या अवैध उद्देश्य के लिए अपहरण करते हैं, और जो अच्छे विश्वास में अप्राकृत बच्चे के पिता होने या उसकी वैध देखभाल का हकदार मानते हैं।
धारा 135 (135 BNS in Hindi) के तहत भारत से या वैध संरक्षण से अपहरण करने वाले को सात वर्ष तक की कैद और भुगतान के लिए दंडित किया जाता है।
135 BNS का अपराध साबित करने के लिए कुछ मुख्य बिंदु: Section 135 BNS Essentials
धारा 135 भारतीय न्याय संहिता में अपहरण के अपराध को संज्ञान में लाती है, और इसके अपराधी को कठोर कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ता है। इसे साबित करने के लिए कुछ मुख्य बिंदु हैं:
- अपराध की परिभाषा: धारा 135 व्यक्ति को भारत से या वैध संरक्षण से अपहरण करने के अपराध में दंडित करती है।
- अपहरण के दो प्रकार: धारा द्वारा दो प्रकार के अपहरण को परिभाषित किया गया है – भारत से अपहरण और वैध संरक्षण से अपहरण।
- अपहरण से सम्बंधित क्रिया: अपहरण के लिए आवश्यक उपाधानों में शामिल हैं व्यक्ति को उसकी सहमति के बिना या सहमति के अधिकारी के साथ किसी अन्य की भारत से ले जाना या उसे अपहरण करना।
- अपहरण के दंड: धारा 135 के तहत अपहरण के अपराधी को कड़ी सजा का सामना करना पड़ता है।
- धारा 135 का महत्व: इस धारा का पालन सामाजिक सुरक्षा और विकास के लिए आवश्यक है, और यह समाज में नैतिकता और कानून की पालना को बढ़ावा देता है। यह धारा समाज के नियमों की शांति और आत्म-निर्भरता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
धारा 135 की सरल व्याख्या – Kidnapping
- धारा 135 भारतीय न्याय संहिता में अपहरण के अपराध को परिभाषित करती है।
- यह धारा दो प्रकार के अपहरण को परिभाषित करती है – भारत से अपहरण और वैध संरक्षण से अपहरण।
- अपहरण के द्वारा अपराधी किसी व्यक्ति को उसकी सहमति के बिना या सहमति के अधिकारी के साथ किसी अन्य की भारत से ले जाता है।
- धारा 135 के अंतर्गत अपराधी को कड़ी सजा का सामना करना पड़ता है।
- अपवाद के तहत, अपहरण करने वाले व्यक्ति को छोड़ दिया जाता है, यदि उसका कार्य अश्लील या अवैध उद्देश्य के लिए नहीं किया गया है।
- धारा 135 (135 BNS in Hindi) का पालन सामाजिक सुरक्षा और विकास के लिए आवश्यक है, और यह समाज में नैतिकता और कानून की पालना को बढ़ावा देता है।
- इस धारा के अंतर्गत अपराधियों को सख्ती से सजा होती है, जो समाज की सुरक्षा और भलाई को खतरे में डालते हैं।
- धारा 135 एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान है जो समाज के नियमों की शांति और आत्म-निर्भरता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
धारा 135 में सजा का प्रावधान! – Punishment under Section 135 BNS in Hindi
धारा 135 में सजा का प्रावधान किया गया है जो अपहरण करने वाले अपराधियों को अपने कार्यों के लिए दंडित करता है। इस धारा के अंतर्गत, अपराधी को सजा की उम्र के साथ कड़ी सजा का सामना करना पड़ता है।
धारा 135 के अनुसार, अपहरण करने वाले व्यक्ति को सजा का हिसाब दिया जाता है जो सात वर्ष तक की कैद और भुगतान के लिए हो सकता है। यह सजा अपराधी के अपराध के प्रकार और गंभीरता के आधार पर निर्भर करती है।
अपहरण के मामले में, धारा 135 अपराधी को संघर्ष में बेताब करता है, उसकी आत्म-निर्भरता को हानि पहुंचाता है, और साथ ही समाज की सुरक्षा पर भी प्रभाव डालता है। यह सजा समाज में अपराधों की रोकथाम और नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और अपराधियों को सजा का खतरा दिखाती है।
धारा 135 का पालन करने से समाज में नैतिकता और कानून की पालना को बढ़ावा मिलता है, जिससे समाज की सुरक्षा और सामाजिक समृद्धि को बढ़ावा मिलता है।
धारा 135 BNS के अंतर्गत जमानत का प्रावधान : Bail Under Section 135 BNS in Hindi
धारा 135 भारतीय न्याय संहिता में अपहरण के अपराध को परिभाषित करती है, और इसके तहत जमानत का प्रावधान भी है।
धारा 135 (BNS 135 in Hindi) के अनुसार, अपहरण के आरोप में गिरफ्तार होने वाले अपराधी को कई स्थितियों में जमानत की सुविधा दी जा सकती है। जमानत का प्रावधान उस संदर्भ में होता है जब गिरफ्तारी के बाद अपराधी अदालत में पेश होता है, और अदालत को उसकी रिहाई के लिए निर्दिष्ट राशि जमा करने की अनुमति देता है।
इस प्रकार, जमानत की सुविधा अपराधी को अदालत के अधिकार के तहत रिहाई के लिए अवसर प्रदान करती है, जो कि अपराध के तत्काल परिणामों से उसे बचा सकता है। यह भी न्यायिक प्रक्रिया में उसकी सहायता करता है और उसे अपनी पक्ष की रक्षा करने का अवसर देता है।
हालांकि, जमानत की स्वीकृति पर विचार किया जाता है और इसका निर्धारण अपराध की गंभीरता, अपराधी के पिछले रिकॉर्ड और सामाजिक संदर्भ के आधार पर किया जाता है।
क्या हमें धारा 135 बीएनएस के लिए वकील की आवश्यकता है?
धारा 135 बीएनएस एक गंभीर अपराध को परिभाषित करती है जिसमें अपहरण के आरोप में अपराधी कड़ी कानूनी कार्रवाई का सामना करता है। इसलिए, धारा 135 के मामले में वकील की आवश्यकता होती है, जो अपराधी को कानूनी निर्देशन और सलाह प्रदान करने में मदद कर सकता है।
धारा 135 के मामले में वकील की आवश्यकता कई कारणों से होती है:
- कानूनी ज्ञान: धारा 135 के तहत कानूनी प्रक्रिया का ज्ञान होना आवश्यक है, जिसमें वकील मदद कर सकता है।
- अपराधी की प्रतिरक्षा: अपराधी को अपनी पक्ष को समझने और अपने हक की रक्षा करने के लिए वकील की आवश्यकता होती है।
- न्यायिक प्रक्रिया का पालन: वकील न्यायिक प्रक्रिया को ठीक से पालन करने में मदद कर सकता है और अपराधी के पक्ष को सही तरीके से प्रतिनिधित कर सकता है।
- समाधान: धारा 135 के मामले में वकील किसी भी विवाद को समाधान करने में मदद कर सकता है, जिससे मामला विचाराधीन और संज्ञानशील रूप में हल हो सकता है।
इन सभी कारणों से, धारा 135 के मामले में वकील की आवश्यकता होती है जो अपराधी को सही निर्देशन प्रदान कर सकता है और उसके हित में सजा का यथासंभव अनुरोध कर सकता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
धारा 135 भारतीय न्याय संहिता में एक महत्वपूर्ण धारा है जो अपहरण के अपराध को परिभाषित करती है। यह धारा व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सुरक्षा के मामले में महत्वपूर्ण है, खासतौर पर बच्चों और मानसिक रूप से कमजोर व्यक्तियों की सुरक्षा को समय रहते और सुखदायक बनाया जाए। इस धारा के अंतर्गत, अपराधियों को कठोर दंड और सजा का हिसाब देना जाता है जो इस प्रकार के अपराध करते हैं।
यह धारा विशेष रूप से ऐसे मामलों में महत्वपूर्ण है जहां अपराधियों का अपना हिस्सा होता है, जो समाज की सामाजिक सुरक्षा और भलाई को खतरे में डालते हैं। धारा 135 (135 BNS in Hindi) का पालन सामाजिक सुरक्षा और विकास के लिए आवश्यक है, और यह समाज में नैतिकता और कानून की पालना को बढ़ावा देता है। इस धारा के अंतर्गत अपराधियों को सजा होती है, जो समाज की सुरक्षा और सामाजिक समृद्धि को बढ़ावा देती है। इस विशेष धारा के माध्यम से, कानून संविधान की सख्ती को बनाए रखने में सहायक होता है, जो समाज के अधिकारों और कर्तव्यों की रक्षा करता है।
135 BNS was 363 IPC Earlier
आईपीसी की धारा 363 अब बीएनएस की धारा 135 है।
IPC की धारा 363 अब BNS की धारा 135 है।
Section 363 of IPC is now Section 135 of Bhartiya Nyaya Sanhita.
Section 363 of the Indian Penal code is now Section 135 of Bhartiya Nyaya Sanhita. भारतीय दंड संहिता की धारा 363 अब भारतीय न्याय संहिता की धारा 135 है।
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